दो चक्र October 22, 2020 Pratibha Bhatnagar 34 Comments चाह थी कुछ कर जाऊँ, धूल से ज़र्रा बन जाऊँ, आशीष मिला अपनों का,दूर कहीं रश्मि उज्ज्वलता, क्षण क्षण में जीवन जी जाऊँ, आत्म… Continue Reading →